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UDGAM


UDGAM






Issue: Spcl-009
Format: Pdf, Cbr
Pages:36
Language: Hindi
Story, Coloring & Calligraphy: Balbinder Singh
Artwork: Anuj Kumar & Abhayjeet
Cover Art : Anuj Kumar
Cover Coloring: Balbinder Singh
Final Editing: Vinay Kumar Sharma
Supported by : Hukam Mahendra & Kabir Vella
Special thanks to: Kaushal Gayakwad
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UDGAM-#009- अंगारा उद्गम, नाम से प्रतीत होता है कि यह गाथा अंगारा के जीवन के पहलुओं को उजागर कर रही है पर यह गाथा अंगारा से कहीं अधिक उसके भगवान, उसके रचियता डॉक्टर कुणाल की गाथा है जिसे बस नाम दिया गया अंगारा...#उद्गम
   
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कृपया किसी भी मित्र को कॉमिक्स का डायरेक्ट लिंक न दे बल्कि उन्हें ब्लॉग का लिंक दें ताकि वे भी अपना बहुमूल्य कमेंट देकर हमारे पहले प्रयास पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकें...धन्यवाद !

23 comments:

  1. बहुत दिनों से इंतजार था
    धन्यवाद आपको।

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  2. Awesome work bhai🙏🙏🙏🙏👍👍👌👌👌

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  3. Bahut bahut dhnaybaad Balvinder bhai aur aur Team FMC . Kafi achi story aur artwork . Intzar rahega agle part ka.

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  4. intjar ka fal Meetha hota hai ah sach main sabit ho gaya udgam ka bahut intjar tha aj mil gai pichle part se ismain bahut sudhar Hua hai artwork bahut jabardst hai story bahut romanchak lagi jaisa socha uske veeprit hi mila padhne colouring bahut badiya lagi editing bhi acha hai full entertainment comcis lagi suspence abbi bhi bana Hua hai next last part ka wait hai .

    isi tarah fmc ham fance ko comics deti rahe

    dhanyawad 🙏

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  5. सर्वप्रथम fmc की पूरी टीम को उनके अथक परिश्रम से बने इस अतुल्य उपहार के लिए कोटि कोटि साधुवाद... यह कॉमिक्स रहस्य,रोमांच और सस्पेन्स से इतनी भरी हुई है कि इसके आगामी अंक प्रोजेक्ट अंगारा का इंतजार करना बहुत मुश्किल होगा...

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  6. Fmc team ko haardik badhai.
    Good team work.
    Next part ka wait suru

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  7. Bahut badhai ho FMC ki team ko. Aur bahut hi umda kahani hai . project Angaara ka intezaar rahega.

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  8. समीक्षा - उद्गम (Team FMC)
    समीक्षक - अंकित निगम

    अन्ततः हो ही गया अंगारा "उद्गम" और इसी के साथ एक बार फिर टीम fmc बधाई के पात्र हैं खासकर बल्लू भाई क्योंकि बीता वर्ष उनके लिए बहुत ही कठिन रहा। इन सबके बाद भी उन्होंने इस कॉमिक्स को निकाला ये काबिले तारीफ है। अब बात करते हैं कॉमिक्स की

    Concept - जैसा कि 'आरम्भ' से हम जानते हैं कि कहानी का मूल विषय अंगारा का एक नया ओरिजिन बनाना है, कथा के इस भाग में ये पता चलता है कि इस नए ओरिजिन में है क्या। विषय की परतें खुलती हैं और हमें एक नए आयाम में ले जाती हैं जहाँ शोध (रिसर्च) भी है, प्रतिशोध (बदला) भी है, एलियन भी हैं, फैमिलियन (परिचित) भी हैं यानी टोटल मसाला उपलब्ध है। कॉन्सेप्ट की गहराई काबिले तारीफ है जो एक ओर द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान विश्व भर मे शुरू हुए आधुनिक हथियारों के निर्माण से लेकर वर्तमान अमेरिका की किसी को खुद से आगे ना बढ़ने देने की महत्वकांक्षा तक को नापती है तो दूसरी ओर मानव उतपत्ति के वैकल्पिक सिद्धांतों का सफर भी तय करती है। इतना गहरा सोंचने के लिए लेखक बधाई के पात्र हैं।

    Story - कहानी वहीं से आगे बढ़ती है जहाँ पर पिछली खत्म हुई थी और इस बार भी यह तीन अलग समयधाराओं को दिखाती है लेकिन ध्यान देने पर पाठक को समझ में आता है कि कथा मूल रूप से दो ही समयधाराओं में सिमटी है और वास्तविक कहानी एक ही समयधारा में आगे बढ़ रही है। जैसा कि पहले भाग से ही स्पष्ट था कि कहानी की आधारशिला अतीत के हिस्से में है और इस भाग में वही पक्ष उभरकर सामने आता है। पहले जो रहस्य बने थे उनके जवाब मिलते हैं और कुछ नए रहस्य सामने आते हैं। कहानी इस तरह कही गई है कि इसमें कोई खामी निकाल पाना जरा मुश्किल ही है मुझे जो एक चीज़ कम लगी वो ये की शुरू में जिस वैज्ञानिक प्रोग्राम का नाम लिया गया है यदि उसके वास्तविक कॉमिक्स(मार्वल) वैज्ञानिकों (एर्स्किन और स्टार्क) का भी यूज़ करते तो पाठकों को और रुचिकर लगता(ये मेरे निजी विचार हैं)। इसप्रकार की कहानी के लिए लेखक को विशेष बधाई।

    Editing - ये पक्ष इस कॉमिक्स का सबसे कमजोर पक्ष है। सबसे बड़ी कमी ये है कि शुरू में पिछली कहानी का मिनी रिकैप नदारद है जो कि reconect के लिए ज़रूरी होता है। कई स्थानों पर फ्रेम पुनरावृत्ति(repeatation) हुई है जो कि ध्यान भंग करती है, कहानी का एक बड़ा हिस्सा (पेज 14,15,16) वही कहानी दोहराता है जो हम आरम्भ में पढ़ चुके हैं यदि इसे इग्नोर करते तो कहानी को 3 और पेज मिलते। इसके अतिरिक्त कहानी की लेंथ थोड़ी और बड़ी करने की आवश्यकता थी जो कि कहानी को थोड़ा और गहराई देती क्योंकि 4 वर्ष पूर्व चल रहे घटनाक्रम को इस भाग में थोड़े और स्थान की आवश्यकता थी (पूर्व में टीम fmc हमें अधिक पन्नों वाली कॉमिक्स दे के लालची बना चुके हैं)। हालांकि ऐसा नहीं है कि इस पक्ष में बस कमियाँ ही हैं क्योंकि इस बार स्टोरी स्विचिंग के क्षेत्र में काफी ध्यान दिया गया है जो की कहानी की निरंतरता को बनाए रखती है। और हाँ बालक कुनाल के रूप में हम सबके (खासकर विनय भाई के) चहेते को देखकर मज़ा ही आ गया ��

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  9. Dialogues - सम्वाद किसी भी प्रकार की कहानी के लिए अलंकार की तरह होते हैं, अच्छे सम्वाद साधारण कहानी को भी असाधारण बना देते हैं। इस कहानी के सम्वाद कहानी को आगे बढ़ाते हैं खासकर डॉ कुणाल का नैरेटिव जो कि बेहतरीन शब्दों से बुना हुआ है। एक्स और डॉ सुबोध के सम्वाद उनके चरित्र की विभत्सता और बालक कुणाल के सम्वाद उसके चरित्र के मर्म को उभारने का काम करते हैं, एक संवाद, _"मैं जंग का भागीदार नहीं बनना चाहता था, इसलिए नहीं कि मैं कायर था बल्कि इसलिए क्योंकि मैं जिंदगी की कीमत समझने लगा था।"_ , यह बताने के लिए पर्याप्त है। हालांकि एक संवाद - _"हमें प्रकृति ने नहीं बनाया।"_ की पुनरावृत्ति अखरती है इसका प्रयोग 3 बार हुआ है जिससे बचा जा सकता था।

    Art and Coloring - ये वो विभाग है जिसमें सबसे ज्यादा मेहनत और कुशलता की आवश्यकता होती है और मेहनत के मामले में टीम fmc को विशेष बधाई दी जानी चाहिए क्योंकि सीमित संसाधनों से ऐसा काम करना आसान नहीं है, रही बात कुशलता की तो वो धीरे धीरे ही आती है। इस कॉमिक्स का आर्टवर्क पिछली की तुलना में दो कदम आगे ही है पहले से ज्यादा डिटेलिंग है, चेहरे की भावभंगिमा संवादों से मेल खाती है इसके लिए अभयजीत भाई और अनुज भाई बधाई के पात्र हैं। बल्लू भाई की फोटोशॉप की काबिलियत तो जबरदस्त है लेकिन रँगसज्जा में थोड़े से सुधार की गुंजाइश है। हालांकि जिन परिस्थितियों में उन्होंने इस कार्य को सम्पन्न किया है उसे देखते हुए इस बात की प्रशंसा करना ज़रूरी है कि उन्होंने कार्य बंद नहीं किया बल्कि पाठकों की इच्छा का मान रखते हुए ये कॉमिक्स हमें उपलब्ध कराई।

    ओवरआल मैं इसे 4/5 मार्क्स दूँगा और कहना चाहूँगा कि ये एक मस्ट रीड कॉमिक्स है जो हमें तुलसी कॉमिक्स के सबसे लोकप्रिय पात्र अंगारा के और नजदीक ले के जाती है। इन सब बातों के अतिरिक्त इस कॉमिक्स में कुछ मित्रों की समीक्षाओं को स्थान देकर टीम fmc ने ये भी जताया है कि ये समीक्षाएं व्यर्थ नहीं होती अपितु वो इन्हें पढ़ते हैं और उन पर अमल भी करते हैं। कॉमिक्स के आरम्भ में नवीन प्रकाशनों के बारे में लिखी गई बातें कॉमिक्स के एक स्वस्थ भविष्य का आश्वासन प्रदान करती हैं। ये छोटी छोटी बातें एक बड़ी पहल में बदलने में वक्त नहीं लेती इसीलिए महत्वपूर्ण होती हैं। इस "उद्गम" के लिए टीम fmc को बधाई। "प्रोजेक्ट अंगारा" की प्रतीक्षा में.....

    धन्यवाद����

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  10. This comment has been removed by the author.

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  11. Bahut hi shandar . . . Kahani ek sundar lay me age badhti hui . . . . Art me pichli bar se kaafi sudhar . . . . Kahani ekdam gripping thi . . . Poori team fmc badhai ki patr hai , ki aj ke is mobile yug me bhi comic jaise manoranjan ke sadhano ko jeevit rakhne ka prayas kar rahi hai . . .
    Waiting for the next part :)

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  12. Aisa Lagta hai Bachpan mein Phir AA gaye

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  13. Great yar bahut dino se iski khoj thi manoj comics ka super city bhi publish karayiye

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  14. Very intelligent effort and very nice

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  15. Very nice work brother....best of luck.

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  16. Sir ji apka jawab nahi....bohot shandar creation hai....kripya JAMBU ka b aisi comics bana dijiye jisme JAMBU ki starting life se ho..

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