/

UTTPATTI SHRINKHLA_EPISODE-1

उत्त्पत्ति श्रृंखला 
लेखक-चेतन सिंह यादव
भाग-1 (रक्षकों का युग)
EPISODE-1
Title - हरी मौत


NAAGDWEEP

राजमहल के बाहर महारानी नगीना-इस मानवनाग का इतना दुस्साहस कि इसने नागद्वीप की युवराज्ञी, हमारी पुत्री से प्रेम करने का अपराध किया । (पिछले वर्ष महाराज मणिराज की मृत्यु के बाद से ही नगीना ही नागद्वीप का कार्यभार संभाल रही है)
महात्मा विष्या-महारानी ! शांत हो जाइये ।
नगीना-इसे यहाँ आश्रय देना ही गलत निर्णय था महाराज का । जन्म लेते ही अपने पूरे परिवार को निगल गया । ये कोई नाग नहीं, अजगर है अजगर ।

MAHANAGAR
'नहीं.....' चिल्लाते हुए एक लड़का, जिसके शरीर की बनावट के हिसाब से वो 25-26 वर्ष का होगा, अचानक से उठता है
जिसकी आवाज सुनकर पास
वाले कमरे से एक लड़की तेजी से उसके कमरे में आती है और लाइट जला कर उसके पास बैठ जाती है ।
लड़की- (परेशानी के भाव)-क्या हुआ राज ?

राज-कुछ नहीं ।

लड़की-
मुझे समझ नहीं आता, तुम मुझसे कुछ शेयर क्यों नहीं करना चाहते राज ।

 हम दोस्त हैं इतने सालों से । फिर भी....?
राज- ऐसा कुछ भी नहीं है बताने को भारती । तुम यकीन मानो और अब परेशान मत होओ, ठीक हूँ मैं । अब सो जाओ ।


MAHANAGAR

Bharti Science Division ( BSD)


प्रयोगशाला में आधी रात को अकेला युवक एक दम से ख़ुशी से चीख उठता है ।
युवक-(आँखों में चमक के साथ)-हा हा हा ! मैंने कर दिखाया । मि. श्रीकांत ! तुम तो कमाल के हो । (खुद से ही बात करते हुए युवक कहता है)-कल मैं राज को दिखा दूंगा । मानता नहीं था कि मैं यह फ़ॉर्मूला बना सकता हूँ । बेटा राज ! तैयार हो जा शर्त हारने के लिए ।

RAJNAGAR

(Bharti Communication news channel)
बी.सी.एन. न्यूज़- इस हफ्ते जुपिटर सर्कस देगा राजनगर के लोगों को नए साल का तोहफ़ा । 1 जनवरी को होगा जुपिटर सर्कस का स्पेशल शो और शो स्टॉपर होगा जुपिटर सर्कस का सबसे युवा सबसे बेहतर चमकता सितारा....ध्रुव !

MAHANAGAR
January 17/2015

Bharti Science Division (BSD)

राज-(अपनी दोनों भौंहें ऊपर करते हुए)-अहा ! आखिरकार तुमने फ़ॉर्मूला तैयार कर ही लिया ।
श्रीकांत-(छाती फुलाते हुए)-हाँ और अब शर्त के मुताबिक तुम भारती को लेकर बाहर जाओगे ।
राज- वो तो हम कई बार जा चुके हैं ।
श्रीकांत- च..ह..मेरे कहने का मतलब है डेट पर ले जाओ यार । इतने सालों से साथ हो । सेटल वेटल हो जाओ यार ।
राज-हे हे ! फिर तो बेटा शर्त अधूरी है ।
श्रीकांत-वो कैसे? अरे हां ! अभी तो सिर्फ स्किन डिसएपिअर करने का फ़ॉर्मूला बना है । उसे रिएपिअर करना अभी बाकी है राज ।
राज-(अपनी एक भौंहे उठाते हुए)-सही समझे । तो कितने दिन लगेंगे मेरी भारती के साथ डेट फिक्स करने में ।
श्रीकांत-(मुंह लटकाते हुए)-यार इसमें तो मेरे ख्याल से कई साल लगेंगे भाई ।
राज-कोई बात नहीं ! वैसे भी सोच रहा हूँ राजनगर में नए साल पर कोई सर्कस का शो है वही घुमाने लाता हूँ भारती को ।
तभी न्यूज़ पर
'कल रात अज्ञात व्यक्तियों के शव पुराने महानगर की तरफ से बरामद हुए हैं । उनके मरने का कारण एक बेहद शक्तिशाली विष बताया जा रहा है और कमाल की बात यह है कि इसके पीछे कोई और नहीं वही है जिसे लोगों ने नाम दिया है...हरी मौत । जी हाँ !! इस बात की पुष्टि हो चुकी है । वहां मौजूद एक चश्मदीद गवाह के द्वारा । आइये अधिक जानकारी के लिए हम आपको ले चलते हैं सीधे निशा के पास ।'
'हेल्लो निशा !'
निशा-हाँ संजय ! आइये हम आपको मिलवाते हैं उससे जिसने हरी मौत को खुद अपनी आँखों से देखा है । अब तक जिसे महानगर के लोग एक अफवाह समझ रहे थे (उस नेपाली सा दिखने वाले आदमी की तरफ माइक करते हुए)-क्या नाम बताया आपने ।
आदमी- दान्ते !
निशा-हाँ तो दान्ते जी । आपने क्या देखा और आप कैसे बच गए उससे । सुना है आज तक उसे देखने के बाद कोई भी जिन्दा नहीं बचा है ।
दान्ते-मैं उधर कचड़ा का कोंटेनर का पीछे शोया पड़ा था । फिर एक बच्चा का रोने का आवाज आया । मैं देखा दप आदमी लोग एक लेडीज को कुन्ना में ले जा रहा था । उष लेडीज लोग के पास छोटा बच्चा था जिसका मुंह एक आदमी लोग ने बंद कर रखा था । फिर के आदमी लोग दीवार में से आया । और दोनों आदमी लोगों को अपने हाथों से हवा में उचा कर दिया ।

निशा-एक मिनट ! आपके कहने का मतलब है कि वो आदमी दीवार में से निकल के आया जैसे कोई भूत...?
दांते-हाँ..हाँ..हाँ...। फिर वो लेडिज लोग वहां से भाग गया । उसके बाद उस भूत का मुंह से कुछ निकला । पूरा धुंआ-धुंआ हो गया । फिर..फिर हम सो गया ।
निशा-धुंआ, धुंआ मतलब ..? और आप सो गए मतलब बेहोश ही गए , राईट?
दांते-हाँ...हाँ, और वो और हरा हरा आँखें था उसका ।
निशा-वो दोनों लोग मर गए, लेकिन आप सिर्फ बेहोश हुए । खैर ये तो पता चल ही गया कि हरी मौत कोई अफवाह नहीं है और उसकी पुष्टि करने वाला सबसे पहला चैनल है BCN न्यूज़..., मैं निशा कैमरामैन अभि के साथ BCN न्यूज़ से । 
संजय--धन्यवाद निशा ! अब इस बात की पुष्टि तो हो चुकी है कि हरी मौत वास्तव में है और वो किसी तरह का खतनाक जहर इस्तेमाल करता है धुंए के रूप में । अब इसके बारे में और जानकारी लेते हैं स्टूडियो में हमारे साथ मौजूद साँपों के जान माने विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर नागमणि  जी से ।
संजय-क्या लगता है सर आपको ? कौन हो सकता है हरी मौत?
प्रोफ़ेसर नागमणि-ये जो भी है..है बड़ा खतरनाक..क्योंकि जिस  जहर का ये इस्तेमाल करता है उसकी जाँच मैंने खुद की है और उसके सैम्पल को हर देश में भेज कर चेक करवा चुका हूँ और अब मैं इस  बात की पुष्टि कर सकता हूँ कि वो जहर इस देश तो क्या इस विश्व में ही नहीं पाया जाता है । उसने जरुर ही किसी तरह से या इधर-उधर से मिला जुलाकर तैयार किया होगा इस विष को । मतलब अभी तक तो ये एक पहेली ही है ।

प्रयोगशाला में श्रीकांत राज की तरफ देखता है ।
राज-ये लोग कुछ ढंग का नहीं दिखा सकते क्या?
श्रीकांत-कब तक राज...कब तक यूँही चुप कर अपराधियों को मारते रहोगे । अपराधियों को मारने से अपराध ख़त्म नहीं होता है । अपराध ख़त्म होता है उम्मींद से । लोगों को मसीहा चाहिए जिसे देख कर वो चैन से सोयें । ये जानते हुए कि हाँ कोई है जो उनकी हिफाजत करने के लिए, उन्हें बचाने के  लिए आएगा । उन्हें एक रक्षक चाहिए राज जो सिर्फ तुम बन सकते हो ।
राज-हम इस बारे में बात कर चुके हैं श्रीकांत । तुम समझ नही रहे हो । ये दुनिया अभी तैयार नहीं है मेरे लिए ।
श्रीकांत-वो तैयार नहीं हैं या तुम ?

कुछ वर्ष पूर्व
नागद्वीप

कुछ युवक एक सुरंग में प्रवेश करते हुए
नागार्जुन-आपको सच में ऐसा लगता है नागराज कि हम दोनों इन अन्धक सर्पों के  लिए काफी होंगे...मतलब उनका पूरा कबीला  । एक बार पुनः विचार करके देखो ।
नागराज, नागार्जुन को देख हल्का सा मुस्कुराता है ।
नागार्जुन-ये  इस मुस्कराहट का क्या अर्थ था?
इससे पहले नागार्जुन आगे कुछ कहता, जमीन में से कई सारे अन्धक नागमानव बाहर आ गए और उन दोनों पर टूट पड़े ।
"नागार्जुन के तीर अपना निशाना कभी नहीं चूकते " -कहते हुए अपने तरकश में से एक तीर निकाल कर चलाया नागार्जुन ने । चारों तरफ गोलाकार में घूम गया था वो तीर । एक ही बार में चारों अन्धक नागमानवों को धराशाई कर दिया था उसने ।
नागराज-हमने कहा था न कि हम दोनों काफी हैं ।
उनकी मौत होते ही जैसे पूरा कबीला ही टूट पड़ा था उन पर । नागराज के बाहुबल के  आगे उनकी बहुसंख्या भी कारगर न थी । वही
नागार्जुन के तीखे तीरों ने उस जंग में अलग ही रोमांच भर दिया था । फिर अचानक से एक आवाज गूंजती है और हमला रुक जाता है । उस भीड़ के पीछे से निकल कर आता है एक योद्धा । मुंह पर कपड़ा बांधे हुए कमर पर तलवार लगाये हुए उनकी तरफ बढ़ रहा है ।
योद्धा-मैं हूँ अन्धक कबीले का सरदार कोबराक और तुम दोनों यक़ीनन यहाँ उस नागकन्या को लेने आये हो ।
नागराज-आप तो समझदार प्रतीत हो रहे हो ।
कोबराक-बस ! एक छोटी सी समस्या है । अगर विष्या को ले जाना है तो आपको हमें परास्त करना होगा तलवारबाजी में ।
नागार्जुन-लेकिन नागराज तो मल्लयुद्ध करते हैं, उन्हें तलवारबाजी का ज्यादा अभ्यास नहीं है । और हम धनुर्धारी हैं ।
कोबराक-फिर तो तुम दोनों यहाँ से जा सकते हो । हे हे...।
नागराज-हमें मंजूर है सरदार कोबराक ।


VARTAMAN SAMAY
MAHANAGAR

January 19/2015

BCN news

ब्रेकिंग न्यूज़...स्कूल  में घुसे आतंकवादी
निशा-हम लोग यहाँ स्कूल के बाहर से आपको पूरी घटना की जानकारी दे रहे हैं । पोलिस ने स्कूल को हर तरफ से घेर लिया है । ऐसे में आतंकवादियों का बचकर निकल जाना तो मुमकिन नहीं है लेकिन वो लोग अन्दर हैं और उनपर किसी भी तरह का हमला करना बच्चों की जिंदगी को खतरे में डालना होगा । अब देखते हैं कि इसंपेक्टर चीता इस सिचुएशन को कैसे सँभालते हैं ? BSD..!

प्रयोगशाला में श्रीकांत -(खुद से बात करते हुए)-राज तुम्हारे पास पावर्स हैं फिर भी तुम उसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हो लेकिन मैं चुप नहीं बैठूँगा । मेरा यह अधूरा प्रोजेक्ट ही अब उन बच्चों की आखिरी उम्मींद है । मुझे यह प्रयोग खुद पर करना ही होगा ।  प्रोजेक्ट अधूरा है लेकिन इस वक्त उन  मासूम बच्चों की जिंदगी ज्यादा जरुरी है ।

KUCH SAMAY BAAD

कुछ समय बाद
(स्कूल के अन्दर हॉल में)
पहला आतंकवादी-कुछ सोचा है यहाँ से निकलने के बारे में?
दूसरा आतंकवादी-पता नहीं ! सल्लू मियाँ को पता होगा ।
पहला आतंकवादी-मुझे समझ नहीं आ रहा । हम यहाँ बिना किसी की जानकारी के भी कर सकते थे और पुलिस को पता लगता तब तक तो स्कूल उड़ा कर हवा हो जाते । फिर इतना सब दिखावा किसलिए?
दोनों आतंकवादियों की बातें सुन रहा था पीछे खड़ा उनका बॉस सल्लू  जो दूसरे आतंकवादी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोलता है ।
सल्लू-ये दिखावा उस चूहे को बिल से निकालने के लिए है जिसने अब तक हमारी गैंग के कई आदमियों को अपने जहरीले धुंए से मार दिया है ।
पहला आतंकवादी-(घबराते हुए)-हरी मौत की बात कर रहे हो क्या?
सल्लू-(मुस्कराते हुए)-सही समझे । और इसलिए तुम सबको चेहरा छिपाने के लिए नकाब की जगह गैस मास्क दिया गया है, जिससे उसके जहरीले धुंए का हम पर कोई असर न हो । समझे ।

सल्लू अपनी  बैटन में लगा था बाकी दोनों के साथ इतने में वहां मौजूद बाकी तीन और आतंकवादियों में से दो अचानक बेहोश हो गए थे जिन्हें देख तीसरा
चौकन्ना हो गया और उसने बाकी सभी को आवाज लगा दी ।
सल्लू-क्या हुआ तुम दोनों को ? ये बेहोश कैसे हुए?
तीसरा आतंकवादी-पता नहीं! ये अचानक से गिर पड़े ।
पहला आतंकवादी-ये अचानकनहीं गिरे । इन्हें गिराया गया है । ये देखो बेहोश करने वाला डार्ट मारा है किसी ने इन्हें ।
सल्लू उसे देखने आगे आता है इतने में दूसरे वाला आतंकवादी  "आईईई " की आवाज निकालते  हुए नीचे गिर पड़ता है जिसके गिरते ही बाकी
बचे हुए अपनी अपनी बंदूकें पकड़ कर इधर-उधर देखने लगते हैं । उनका घबराहट से पसीना निकल रहा था ।
पहला आतंकवादी-ये कौन है? क्या उस हरी मौत को पता चल गया कि हम मास्क लगाये हैं तभी वो डार्ट मार रहा है ।
सल्लू-चुप रहो और पता लगाओ कि डार्ट मार कहाँ से रहा है वो?
उसके इतना कहते ही श्रीकांत, जो कि वहां पर अदृश्य होकर आया हुआ था और डार्ट से उन आतंकवादियों को बेहोश कर रहा था , सल्लू की तरफ लपकता है लेकिन उसी समय सल्लू दूसरी तरफ मुड़ता है जिससे श्रीकांत सामने मौजूद परदे से टकराता है । परदे के हिलने से और श्रीकांत के हाथ में मौजूद डार्ट के गिरने से तीनों आतंकवादियों की नजर वहां मौजूद उस परदे पर पड़ती है और वो आनन फानन में अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगते हैं उस परदे पर । जिसमें से कुछ गोलियां श्रीकांत के भी लगती हैं पर वो जैसे तैसे वहां से भाग कर एक कोने में छुप जाता है । उसके शरीर में से खून निकल रहा था जिससे उसके चलते उसका गायब शरीर भी हल्का हल्का नजर आ रहा था...। तभी..
सल्लू-ये खून के निशान इसका मतलब वो यहीं था और वो गायब हो सकता है । चलो इन निशानों का पीछा करो जो उसके पास तक ले जायेंगे हमें । आज उस हरी मौत की मौत बनेंगे हम । हा हा हा ।

स्कूल के बाहर
निशा (चीता से )-ये गोलियां अचानक से चली और बंद हो गई । क्या उन आतंकवादियों से बच्चों को मार दिया है?
चीता-पागलों जैसी बातें न करो । कारण कुछ और है । कोई है अन्दर जो बच्चों को बचाने की कोशिश करने गया है लेकिन लगता है उसकी इस हीरो
गिरी के चक्कर में उसने बच्चों को मुसीबत में डाल दिया है । अब मुझे ही कुछ करना होगा ।

कहते हुए चीता अपनी गन निकाल कर स्कूल के अन्दर अकेले ही घुस जाता है । स्कूल के अन्दर श्रीकांत घायल हालत में खुद से ही बातें करते हुए-साली ये हीरोगिरी...हम्फ़...हर किसी के बस की बात नहीं होती...चाहे आपके पास ...हम्फ़...पॉवर हो या न हो । हीरो बनना बच्चों का खेल नहीं है इतना तो पता चल ही गया...हम्फ़...हम्फ़....साले राज फोन उठा मेरे भाई ।
राज फोन उठाता है
राज-श्रीकांत क्या हुआ?
श्रीकांत-(कांपती आवाज में)- भाई....हम्फ़...तू सही था यार । हीरो बनना सबके बस की बात नहीं....हम्फ़..।
राज-(थोड़ा गंभीर होते हुए)-श्रीकांत ! बात क्या है और तू कहाँ है अभी ?
श्रीकांत-भाई तू मेरा सबसे अच्छा दोस्त है यार । बहुत याद आएगी तेरी...ह्म्फ़...ह्म्फ़..।
राज अपनी आखें बंद करता है और अपने कानों को काम पर लगाता है और फिर...
राज-तू दो मिनट संभाल खुद को । मैं आ रहा हूँ स्कूल ।
तभी खटाक की आवाज के  साथ श्रीकांत जिस कमरे में उसका गेट खुलता है....। श्रीकांत और उसकी मौत के बीच अब दूरी ज्यादा नहीं थी । क्या अदृश्य मानव का पहला ही कारनामा उसका आखिरी कारनामा होगा ? चीता भी अपने कदम बढ़ा चुका था स्कूल की तरफ और आज वो भी निकल पड़ा था अपनी प्रतिज्ञा तोड़ कर अपने दोस्त को बचाने ? क्या उसकी रफ़्तार उन आतंकवादियों की गोली को हरा पाएगी ????

 

3 comments:

  1. Story seems good, but excessive use of "भाई-भाई-भाई-भाई" in all dialogues... That sounds weird.... Please do not do that.

    ReplyDelete
  2. बहुत ही अच्छी श्रृंखला। हरि मौत का पर्दापण एक्शन से होता तो और आनंद आता।

    ReplyDelete

 
Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...